—राजकुमार अग्निहोत्री युवा खेल पत्रकार और खिलाडी
दो महीने काम के अगर दो-चार करोड़ मिल जाएं तो कोई क्यूं इतने पैसे की खातिर दस महीने सिर-फुटव्वल करेगा। बचे हुए दस महीने में दूसरी जगह काम कर और पैसे नहीं कमा लेगा। यही भारतीय टीम का कोच बनने वाले दावेदारों के साथ हो रहा है कि इन्हें आईपीएल ही इतनी रकम दे देता है कि दूसरे काम करने की जरूरत नहीं पड़ती। फिर बाकी लीग से भी यह लोग अच्छा-खासा पैसा बना लेते हैं। ऐसे में कौन भारतीय टीम का कोच बन अंडा देने वाली मुर्गी से नाता तोड़ेगा। बीसीसीआई अगर आज भारतीय टीम का कोच बनने के साथ-साथ आईपीएल में भी कोचिंग की छूट दे दे तो जितने भी घर-परिवार के नाम पर दस महीने काम नहीं कर पाने का बहाना बना रहे हैं वो सब घर-परिवार समेत भारत में बस जाएंगे।
जस्टिन लैंगर, रिकी पोंटिंग, माईक हेसन, स्टीफन फ्लेमिंग सहित भारतीय टीम का कोच बनने वाले जितने भी हैं, वो इसीलिए भारतीय टीम का कोच बनना मतलब कांटो का ताज पहनना बता रहे हैं कि फ्रेंचाईजी ने इतना बांट रखा है कि गले तक तर हो गए हैं। यह लोग इस ताक में बैठे हैं कि बीसीसीआई भारतीय टीम का कोच बनने के साथ-साथ आईपीएल में कोचिंग की छूट दे दे तो मिनट में आवेदन भर दें। दूसरा लाल और सफेद गेंद का अलग कोच बनाए जाने का इंतजार भी है।
जस्टिन लैंगर ने जो हरकत की है, इसके बाद तो इनसे लखनऊ सुपर जायंट्स की भी कोचिंग छीन लेना चाहिए। जो आपसी बातचीत ही उजागर कर दे, भला उस पर भरोसा किया जा सकता है। बैठे-ठाले ही उन्होंने केएल राहुल को यह कहकर विलेन बना दिया कि राहुल ने सलाह दी थी कि जितनी राजनीति आईपीएल में है, उससे हजार गुना भारतीय टीम में। इस बयान का लैंगर पर क्या असर पड़ेगा, यह तो नहीं मालूम, लेकिन बीसीसीआई राहुल पर आंखे तरेर सकता है। रही बात कोचिंग की तो यह क्रिकेट की किताब में कहीं नहीं लिखा है कि अच्छा खिलाड़ी ही अच्छा कोच बन सकता है। ऐसा होता तो रमाकांत आचरेकर कभी सचिन तेंदुलकर नहीं बना पाते।
जॉन बुकानन इसकी मिसाल हैं कि सात फर्स्ट क्लास मैच खेलने वाला आठ साल ऑस्ट्रेलिया का कोच रहा और इन आठ सालों में ऑस्ट्रेलिया वो टीम बन गई, जिसे सिर्फ सपने में हराया जा सकता था। बुकानन की ताजपेशी शैफील्ड शील्ड में उनके कमाल से हुई थी और इसी कद का कोच भारत में भी है। चंद्रकांत पंडित भले टीम इंडिया के लिए ज्यादा क्रिकेट नहीं खेल पाए, लेकिन क्रिकेट के इस द्रोणाचार्य का कोचिंग में कोई सानी नहीं है। बीसीसीआई के साथ तकलीफ यह है कि स्टार-कल्चर छोडऩा नहीं चाहती और अच्छा कोच जानता है कि स्टार कभी खिताब नहीं दिलाते।
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